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तुम्हें शस्त्र उठाना होगा

बबीता प्रजापति 
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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रण होता गर शत्रु से,
विजयश्री लिखती तुम
द्वंद छिड़ा है अपनों से,
कैसे रण चंडी दिखती तुम ?
प्रेम नहीं है तुमसे,
मात्र छलावा करते हैं
भावनाओं को लूटकर,
दिखावा करते हैं
भावनाओं को छलने वालों,
अब तुम्हें पछताना होगा।
हे रण चंडी! अब कूदो रण में,
तुम्हें शस्त्र उठाना होगा॥

नन्हीं कलियों को भी अब,
समर घोष बजाना होगा
माँ के आँचल से निकल,
तुम्हें युद्ध सिखाना होगा।
हे रणचंडी! अब कूदो रण में,
तुम्हें शस्त्र उठाना होगा॥

कुत्सित मानसिकता ने,
अनेक पल्लवियों के प्राण हरे
हृदय पटल को चीरते,
कैसे मन के घाव भरे
दम्भी,दुराचारियों को,
तुम्हें पाठ पढ़ाना होगा।
हे रणचंडी! अब कूदो रण में,
तुम्हें शस्त्र उठाना होगा॥
(विशेष-दुष्कर्म जैसे गम्भीर विषय पर अब बचपन से आत्मरक्षा सिखाना प्राथमिकता होना चाहिए।)

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