दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’
दौसा(राजस्थान)
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सुना है,दीवारों के कान हैं,
अगर कान है तो सुनती भी होगी
सुनती है तो बोलती भी होगी,
जब दीवारें बोलती हैं घर की
तो बाहर तक आवाजें जाती है।
कान लगा कर देखो दीवार पर,
कम्पन सुनाई देता है
सुनो ध्यान से कंठों से निकला,
रुदन सुनाई देता है।
जिन घरों की बोलती हैं दीवारें,
उन घरों में विनाश दिखाई देता है
दीवारों को मत सुनाओ,
मत सुनाओ क्या ?
दो भाइयों के बीच दीवार
ही मत बनाओ।
ना होगें कान,ना होगी दीवार,
और ना ही होगी कभी तकरार।
जिस घर में नहीं पड़ेगी दरार,
उनमें बरसेगा भरपूर प्यार॥