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धन का सदुपयोग करें

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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कुछ लोगों ने धर्म के मर्म को न समझते हुए धन को हाथ का मैल, लक्ष्मी को चंचला आदि कहकर लक्ष्मी का इतना अपमान किया कि लक्ष्मी असुर प्रवृत्ति वाले लोगों के हाथों में चली गई और धर्मात्मा व्यक्ति कंगाल होते चले गए। ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ वाली कहावत चरितार्थ हुई और असुर प्रवृत्ति प्रत्येक क्षेत्र में धन का निवेश करके उस क्षेत्र का शोषण और दुरूपयोग करने लगी।
त्रिपदा शक्ति-सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा तीनों के संतुलन से जीवन में आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
हमारे आर्ष ग्रंथ बताते हैं कि,-
‘तुलसी पंथी के पिए,
घटे न सरिता नीर।
धर्म करे धन न घटे,
जो सहाय रघुबीर॥’
पैसे का अपमान न करें। पैसा और चाकू दोनों में कोई बुराई नहीं है, बस उसे अच्छा या बुरा उपयोग करने वाले की नीयत बनाती है।
चाकू से सब्जी भी कटती है, चाकू ऑपरेशन में भी उपयोग होता है, चाकू का लूट-पाट और हत्या भी उपयोग होता है।
ऐसे ही धन से अस्पताल, विद्यालय, कुआं, बावड़ी, अनाथालय इत्यादि बन सकते हैं, उसी धन का दुरुपयोग शराब, व्यभिचार और गलत धंधों में भी हो सकता है। इसलिए
नीयत ठीक रखिए और धर्म पालन कीजिए। धन अर्जन और ज्ञान अर्जन दोनों कीजिए। शरीर को स्वस्थ रखिए, मन को पवित्र रखिए, भावनाएं स्वच्छ रखिए तथा कर्म उत्कृष्ट कीजिए। धर्मात्मा जब धन कमाएंगे तो, सदुपयोग और लोकल्याण में लगाएंगे।
आइए, असुर प्रवृत्ति के पास गई लक्ष्मी को पुनः धर्म प्रवृत्ति वाले लोगों के पास लाएं।
एक हाथ से धर्म और दूसरे में धन कमाने की व्यवस्था करें। धन सही तरीके से कमाएं और सदुपयोग करें।

धन का सबसे सही उपयोग परोपकार और धार्मिक कार्यों में खर्च करना है। हमारा पूरा इतिहास धन के सदुपयोग के उदाहरणों से भरा पड़ा है, जिन्होंने भी धन का सदुपयोग किया, वे अमर हो गए।

परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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