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निगल रही मँहगाई

डॉ.रामकुमार चतुर्वेदी
सिवनी(मध्यप्रदेश)
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फॅंसा आज मॅंझधार लोकमत,
तम मँहगाई जंजाल में
हाहाकार मचा जनजीवन,
जनमानस खस्ताहाल में।

नेता जेता विश्व विजेता,
पद अहंकार मधुशाल में
सत्ताधारी पा जिनके मत,
क्षुधार्थ प्यास बदहाल में।

फुफकारती मँहगाई नित,
बन हालाहल विकराल में
कोटि-कोटि जलते जठरानल,
विष मँहगाई के गाल में।

मध्यमवर्ग कठिनतम जीवन,
गमनागमन मँहगाई में
निशिवासर सोपान छू रहे,
वस्तु मूल्यवृद्धि भूचाल में।

लावारिस सड़कों पर जीवन,
क्या प्रभाव हो मँहगाई में
मजदूरी बिन वसन गेह नित,
अंतर क्या महामारी में।

भाग्यविधाता खुद निर्माणक,
बन श्रमजीवी हर हाल में
मिले मजूरी परवश जीवन,
वे सहनशील बदहाली में।

वेतन भोगी पड़े कश्मकश,
नित मँहगाई की मार में
हैं सामाजिक कर्तव्यपथिक,
मर्यादा वाहक घर-बार में।

सत्तालोलुप कलह कला रत,
जन त्रास विरत घोटाला में
श्रमजीवी का लूट आयकर,
दी मँहगाई जन शाला में।

त्राहिमाम मँहगाई चहुँमुख,
पेट्रोल-डीजल है उफान में
अहंकार यौवन सब्जी फल,
मूल्य वृद्धि, वृद्धि तूफान में।।

डांवाडोल जीवन यापन जन,
कमर तोड़ इस मँहगाई में
बिन राहत सरकारी आहत,
बन कर्जदार हर्जाई में।

आमद जनता है तहस-नहस,
कराल काल मँहगाई में
सुरसा सम मुख फाड़ रही वह,
निगल रही मँहगाई खाई में।

राजकोष संवर्धन शासन,
हैे त्रासद जन बदहाल में।
लाचार प्रशासन नींद गहन,
मँहगाई जनता भाल में॥

परिचय-डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी का वास्ता मध्यप्रदेश के सिवनी से है। यहीं पर आपका जन्म १८ अगस्त १९६७ में हुआ है। वर्तमान में आप सिवनी स्थित शहीद वार्ड में बसे हुए हैं। डॉ.चतुर्वेदी की शिक्षा-एल-एल.एम. और पी-एच.डी. है। कार्यक्षेत्र में आप विधि महाविद्यालय में प्रबंधक हैं। सामाजिक गतिविधि के निमित्त बाल कल्याण समिति (सिवनी)से सदस्यता से जुड़े हुए हैं। व्यंग्य लेखक श्री चतुर्वेदी छंद, मुक्तक,गीत और गद्य भी लिखते हैं। प्रकाशन में आपके नाम-हिन्दी वर्णमाला, भारत के सपूत,चले हैं व्यंग्य (खण्डकाव्य)और टारगेट प्रकाशाधीन है। आपको प्राप्त सम्मान में हरिशंकर परसाई सम्मान,हिन्दी गौरव सम्मान और साहित्य गौरव सम्मान मिल चुका है। विशेष उपलब्धि यही है कि, ‘राम बाण’ स्थाई स्तंभ के माध्यम से आप सामाजिक मीडिया पर चर्चित हैं। इनकी की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, सामाजिक चेतना जागृत करना है।

 

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