श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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अजब चहक रही है आज बंजारन फूलों के बाग में,
मधुर ध्वनि में बंजारन, गीत गा रही है प्यार के राग में।
जब से भेजा है प्रियतम, प्यार का पहला खत तुमने,
भूल गई मैं दुनियादारी, सिर्फ तुझे ही याद रखा हमने।
बावरा-सा मन हो जाता है, मन ही मन मैं हँसती हूँ,
‘प्यार का पहला खत’ जब-जब रातों मैं पढ़ती हूँ।
‘प्यार का पहला खत’ ही स्वीकार किया था तुमने,
बुलाया था प्रीतम तुझे सावन में, खत लिख कर हमने।
आ जाओ हमारे साजन, दुनिया से अब क्या डरना है,
ले चलो मुझे दुल्हन बनाकर, साथ में जीना-मरना है।
उमंग भर दी है दिल में, भेजकर ‘प्यार का पहला खत’,
बंजर भूमि थी बंजारन का दिल, भर दी तुमने मोहब्बत।
संभाले नहीं संभल रही है, ‘देवन्ती’ बंजारन का दिल,
भेजा है प्रेम पत्र प्रीतम को, बोली-आकर मुझसे मिल।
सुध-बुध खोई देवन्ती, जबसे आया प्यार का पहला खत,
जब से आया प्यार का पहला खत, पढ़ के हो गई मोहब्बत॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |