संदीप धीमान
चमोली (उत्तराखंड)
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करवा चौथ विशेष…
प्रिय को प्रेम के कितने हम प्रमाण दें,
रुह साक्षी, शब्दों में कैसे हम आयाम दें।
मेरा हर कर्म उसपे जीता और मरता है,
रुठे जो वो, दिल मेरा आहें भरता है।
खुशबू उसकी जो फैली व्योम-व्योम में,
उन श्वाँसों का कैसे हम सलाम दें।
सज-धज, श्रृंगार करो चौथ करवा का,
प्रीत मुस्कान भाए तेरी हर पड़वा का।
बिंदी माथे तेरी, मेरा आत्म बिन्दु है,
तेरा मांग सिंदूर, मेरा सप्तसिंधु है।
तुम प्रयाग हो मेरी रुह सरिता का,
हो संगम शब्दों में जीवन कविता का।
हर लम्हा भीगे है तेरी प्रीत ओस में तेरी मुस्कान में,
मुस्कान छिपी मेरी, कैसे हम प्रमाण दें॥