कुल पृष्ठ दर्शन : 481

You are currently viewing बचपन की यादें…बड़ी सुहानी

बचपन की यादें…बड़ी सुहानी

वंदना जैन
मुम्बई(महाराष्ट्र)
************************************

बीते बचपन की वो यादें भी कितनी सुहानी हैं,
रह-रह कर याद आयी आज फिर वही कहानी है

उम्र बहुत थी छोटी वो, सपने बड़े सयाने थे,
किताबों, तितलियों और खिलौनों के वो ज़माने थे।

बहुत लुभाती थीं बर्फ गोलों की खट्टी-मीठी चुस्कियाँ,
एक चवन्नी में सिमटी थी हमारी वो छोटी-सी दुनिया।

बारिश की ठंडी फुहारों में कीचड़ में छपाक-छपाक कूदना,
फिर घर आकर माँ की डांट खाते हुए आँखें मूंदना।

गिल्ली-डंडे, कॉमिक्स और गोटियों के खेल की नादानियाँ,
बहुत याद आती हैं दादी-नानी के किस्से और कहानियाँ।

होमवर्क करने का आलस ,फिर कक्षा में पड़ती थी डांटें,
टॉफियाँ, चूरन की गोलियाँ भाई-बहनों संग खूब बाँटे।

स्कूल न जाने के बहाने और रिमोट के लिए लड़ाई,
याद आती हैं जो नानी के घर गर्मियाँ जो हमने बिताई।

याद करके उन पलों को क्यों न मुस्कुराया जाए,
थोड़ी देर फिर से बीते बचपन को जी लिया जाए॥

परिचय-वंदना जैन की जन्म तारीख ३० जून और जन्म स्थान अजमेर(राजस्थान)है। वर्तमान में जिला ठाणे (मुंबई,महाराष्ट्र)में स्थाई बसेरा है। हिंदी,अंग्रेजी,मराठी तथा राजस्थानी भाषा का भी ज्ञान रखने वाली वंदना जैन की शिक्षा द्वि एम.ए. (राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन)है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक होकर सामाजिक गतिविधि बतौर सामाजिक मीडिया पर सक्रिय रहती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत व लेख है। काव्य संग्रह ‘कलम वंदन’ प्रकाशित हुआ है तो कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होना जारी है। पुनीत साहित्य भास्कर सम्मान और पुनीत शब्द सुमन सम्मान से सम्मानित वंदना जैन ब्लॉग पर भी अपनी बात रखती हैं। इनकी उपलब्धि-संग्रह ‘कलम वंदन’ है तो लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा वआत्म संतुष्टि है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नागार्जुन व प्रेरणापुंज कुमार विश्वास हैं। इनकी विशेषज्ञता-श्रृंगार व सामाजिक विषय पर लेखन की है। जीवन लक्ष्य-साहित्य के क्षेत्र में उत्तम स्थान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘मुझे अपने देश और हिंदी भाषा पर अत्यधिक गर्व है।’

Leave a Reply