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बचपन बेचारा

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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बुरे हालातों का मारा,
आज का बचपन बेचारा
इन्टरनेट और मोबाइल ने,
जकड़ लिया जीवन सारा।

अच्छे-बुरे की सोच नहीं,
जिम्मेदारी का बोझ नहीं
कैसा होगा इनका भविष्य,
सोच-सोच कर मैं तो हारा।

माँ-बाप भी भूल गए हैं,
जिम्मेदारी से चूक गए हैं
जीवन में चुनौती बहुत है,
कैसे होगा इनका गुजारा।

अपनी मस्ती में मस्त हो गए,
पढ़ाई-लिखाई में पस्त हो गए
अब तो हम हैरान हो गए,
इनकी आँखों का देख नजारा।

‘पबजी’ गेम के शिकार हो गए,
मन में अनेक विकार हो गए।
इनको बिल्कुल समझ नहीं है,
बर्बाद कर लिया जीवन सारा॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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