- हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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इन्होंने मानवता को बेच दिया,
सौदागर बन यह दुश्मन आतंकवादी
दया नहीं है इनमें, यह दिलों के हैं काले,
जो कफ़न को बेच कर तोड़ रहे हमारे भारत को।
इनसे नहीं कुछ रखो उम्मीद,
आतंक के नाम पर हिंसा फ़ैला रहे
अपने एक भाई को मारकर क्या फ़र्ज़ निभा रहे,
जो कफ़न को बेच कर तोड़ रहे हमारे भारत को।
इन्सानियत मिट गई माटी के मोल,
धूल खा रही कोरी इबादत की बात
आज आदमी आदमी का दुश्मन बना हुआ,
जो कफ़न को बेच कर तोड़ रहे हमारे भारत को।
हम हमेशा, दया, करुणा, भाईचारे की बात करते,
वह सिर्फ हिंसा, बम, बारुद, गोली के साथ रहते
वह दुश्मन पाकिस्तान के कठपुतलियाँ बन,
जो कफ़न को बेच कर तोड़ रहे हमारे भारत को।
बहुत हो गया यह खेल अब बंद करो,
इन दुश्मन-आतंक को जड़ से मिटा दो।
इन्हें बता दो भारत का दम,
जो कफ़न को बेच कर तोड़ रहे हमारे भारत को॥