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बहुत हो चुके रक्ताभिषेक

संजीव एस. आहिरे
नाशिक (महाराष्ट्र)
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महामृत्युँजय के निरंतर जाप में, जैसे निकल रही हो प्रेत यात्राएं
ठीक वैसे ही आज हो रही है, पर्यावरण की बेशुमार वलग्नाएं
जय घोष ही जय घोष सब दूर पर्यावरण का, पर शून्य हो गई कृतिकाएं
अरे! इन झूठे आदमियों को कोई तो संभालो, बहुत हो गई वलग्नाएं।

यहाँ अहंकार की टसल मची है, जर्जर बेजार सभी पंचतत्व है
हथियारों की होड़ मची है, आगजनी में तार-तार हुआ तत्व है
बरस रहे आसमान से बारुद के गोले, शून्य हो रहा सारा अस्तित्व है
पर्यावरण की चढ़ती बलि में, खतरे में सभी दुनिया का निजत्व है।

सालों से रही चल रही लड़ाई, पुतिन-जेलेस्की एक से एक मगरूर है
पर कोई नहीं सोचता युद्ध से ज्यादा पर्यावरण बचाना जरुरी है,
कितने फूट रहे बारूद हैं, विनाश ही विनाश बस सब दूर है
फटते बमों के शोर-गुल में बहुत क्षीण पर्यावरण का सुर है।

अरे ! असुरों, अस्तित्व बचेगा पृथ्वी का, तभी तो अहंकार तुम्हारा जीवित रहेगा,
तुम जिंदा ही न रह पाओगे तब, किसे दिखाओगे जब कोई भी न जीवित रहेगा
गर बचाना है इस धरा को, तो तुरत-फुरत युद्ध विराम करवाओ,
दोनों देशों को होश दिलाकर दुनिया वालों! फिर जाकर पर्यावरण दिन मनाओ।

यह मेरी नहीं, धरा की पुकार है, समस्त चराचर की हुंकार है,
बहुत हो चुके रक्ताभिषेक अब सोचो, वरना अस्तित्व बेकार है।
जंगल पुकारते, समुद्र पुकारते आकाश का भी यही अभिसार है,
युद्ध नही शांति करो स्थापित, तब हॊगी पर्यावरण की जय-जयकार है॥

परिचय-संजीव शंकरराव आहिरे का जन्म १५ फरवरी (१९६७) को मांजरे तहसील (मालेगांव, जिला-नाशिक) में हुआ है। महाराष्ट्र राज्य के नाशिक के गोपाल नगर में आपका वर्तमान और स्थाई बसेरा है। हिंदी, मराठी, अंग्रेजी व अहिराणी भाषा जानते हुए एम.एस-सी. (रसायनशास्त्र) एवं एम.बी.ए. (मानव संसाधन) तक शिक्षित हैं। कार्यक्षेत्र में जनसंपर्क अधिकारी (नाशिक) होकर सामाजिक गतिविधि में सिद्धी विनायक मानव कल्याण मिशन में मार्गदर्शक, संस्कार भारती में सदस्य, कुटुंब प्रबोधन गतिविधि में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ विविध विषयों पर सामाजिक व्याख्यान भी देते हैं। इनकी लेखन विधा-हिंदी और मराठी में कविता, गीत व लेख है। विभिन्न रचनाओं का समाचार पत्रों में प्रकाशन होने के साथ ही ‘वनिताओं की फरियादें’ (हिंदी पर्यावरण काव्य संग्रह), ‘सांजवात’ (मराठी काव्य संग्रह), पंचवटी के राम’ (गद्य-पद्य पुस्तक), ‘हृदयांजली ही गोदेसाठी’ (काव्य संग्रह) तथा ‘पल्लवित हुए अरमान’ (काव्य संग्रह) भी आपके नाम हैं। संजीव आहिरे को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अभा निबंध स्पर्धा में प्रथम और द्वितीय पुरस्कार, ‘सांजवात’ हेतु राज्य स्तरीय पुरुषोत्तम पुरस्कार, राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार (पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार), राष्ट्रीय छत्रपति संभाजी साहित्य गौरव पुरस्कार (मराठी साहित्य परिषद), राष्ट्रीय शब्द सम्मान पुरस्कार (केंद्रीय सचिवालय हिंदी साहित्य परिषद), केमिकल रत्न पुरस्कार (औद्योगिक क्षेत्र) व श्रेष्ठ रचनाकार पुरस्कार (राजश्री साहित्य अकादमी) मिले हैं। आपकी विशेष उपलब्धि राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार, केंद्र सरकार द्वारा विशेष सम्मान, ‘राम दर्शन’ (हिंदी महाकाव्य प्रस्तुति) के लिए महाराष्ट्र सरकार (पर्यटन मंत्रालय) द्वारा विशेष सम्मान तथा रेडियो (तरंग सांगली) पर ‘रामदर्शन’ प्रसारित होना है। प्रकृति के प्रति समाज व नयी पीढ़ी का आत्मीय भाव जगाना, पर्यावरण के प्रति जागरूक करना, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु लेखन-व्याख्यानों से जागृति लाना, भारतीय नदियों से जनमानस का भाव पुनर्स्थापित करना, राष्ट्रीयता की मुख्य धारा बनाना और ‘रामदर्शन’ से परिवार एवं समाज को रिश्तों के प्रति जागरूक बनाना इनकी लेखनी का उद्देश्य है। पसंदीदा हिंदी लेखक प्रेमचंद जी, धर्मवीर भारती हैं तो प्रेरणापुंज स्वप्रेरणा है। श्री आहिरे का जीवन लक्ष्य हिंदी साहित्यकार के रूप में स्थापित होना, ‘रामदर्शन’ का जीवनपर्यंत लेखन तथा शिवाजी महाराज पर हिंदी महाकाव्य का निर्माण करना है।