पटना (बिहार)।
बाल साहित्य बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जो उन्हें जीवन के अनेक पहलुओं से परिचित कराता है और व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सहायक होता है। बाल कविता लिखना चुनौतीपूर्ण कार्य है। बच्चों के लिए लिखने के लिए पहले स्वयं बच्चे जैसा सरल, संवेदनशील और निष्कपट बनना पड़ता है।
यह विचार अवसर साहित्य पाठशाला द्वारा आयोजित बाल साहित्य सप्ताह एवं बाल साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए लेखिका सुधा पांडेय ने व्यक्त किए। भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में इस सम्मेलन का संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने कहा कि बाल साहित्य का मुख्य उद्देश्य बच्चों में मानसिक विकास, कल्पनाशीलता, संवेदनशीलता और मूल्यबोध का निर्माण करना है। सही मायने में वही बाल साहित्य सार्थक है, जो मनोरंजन के साथ ज्ञान, विवेक और स्वस्थ चिंतन का बीजारोपण करे। आज का बच्चा चाँद-तारों को केवल सुंदर वस्तु के रूप में नहीं, बल्कि विज्ञान की उपलब्धि के रूप में देखता है।
संगोष्ठी में अनेक रचनाकारों ने नई और मौलिक बाल रचनाएँ प्रस्तुत की। सिद्धेश्वर ने अपनी १ बाल कहानी और कुछ बाल कविताओं का पाठ किया, जिन पर टिप्पणी देते हुए सुधा पांडेय ने महत्वपूर्ण सुझाव एवं मार्गदर्शन दिया। इस आभासी सम्मेलन में बाल कविता एवं कहानी प्रस्तुत करने वाले रचनाकार नंदकुमार मिश्रा, ऋचा वर्मा, सुषमा सिन्हा और राज प्रिया रानी आदि रहे। साहित्य सप्ताह में रचनाकार विज्ञान व्रत, गोविंद भारद्वाज, सिद्धेश्वर, अनिता रश्मि व ज्ञानदेव आदि की सहभागिता रही।
धन्यवाद प्रभारी डॉ. अनुज प्रभात ने व्यक्त किया।