गरिमा पंत
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)
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जीवन का आधार है बेटी,
सपनों का संसार है बेटी।
परियों का रुप है बेटी,
चिड़ियों की चहचहाहट है बेटी।
सूरज की गरमाहट है बेटी,
चाँद की शीतलता है बेटी।
घर की शान है बेटी,
त्यौहारों की जान है बेटी।
माँ-पिता का अभिमान है बेटी,
ससुराल का मान है बेटी।
हर उदासी का मर्ज है बेटी,
खुशियों की सौगात है बेटी।
बाधाओं को दूर करती बेटी,
देश का सम्मान है बेटी।
दुर्गा का अवतार है बेटी,
हर मर्ज की दवा है बेटी।
नयनों की ज्योति है बेटी,
प्यार की भूखी है बेटी।
सृष्टि की उत्पत्ति है बेटी,
नये-नये रिश्ते बहुत उसते बनाती है बेटी।
रिश्तों को प्यार में बांधती है बेटी,
लक्ष्मी का रूप है बेटी।
घर का संगीत है बेटी,
संसार अधूरा है बेटी बिन।
सबके दिल पर राज करती बेटी,
सब पूजो,सब चाहो बेटी॥
परिचय-गरिमा पंत की जन्म तारीख-२६ अप्रैल १९७४ और जन्म स्थान देवरिया है। वर्तमान में लखनऊ में ही स्थाई निवास है। हिंदी-अंग्रेजी भाषा जानने वाली गरिमा पंत का संबंध उत्तर प्रदेश राज्य से है। शिक्षा-एम.बी.ए.और कार्यक्षेत्र-नौकरी(अध्यापिका)है। सामाजिक गतिविधि में सक्रिय गरिमा पंत की कई रचनाएँ समाचार पत्रों में छपी हैं। २००९ में किताब ‘स्वाति की बूंदें’ का प्रकाशन हुआ है। ब्लाग पर भी सक्रिय हैं।