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बैल की व्यथा

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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कृषक ने जब गहरी नींद से, अपनी आँखें खोली,
तभी बिचारे बैल ने अपने, दु:ख की बातें बोली-
सुना है मालिक कि अब, आप हमें बेचने वाले हैं,
कसाई से मेरे मांस का, बयाना भी ले डाले हैं
लेकिन सुन लो बात हमारी,
मैं ही करता था खेती सारी
मुझ बिन प्यारे खेत में तेरे, हल अब कौन चलाएगा ?
कहें ‘उमेश’ वृषभ का कर्जा, तुमसे भरा नहीं पाएगा।

इतना सुनकर खेतिहर बोला, ट्रैक्टर मैं ले आऊँगा,
कौन काटेगा चारा-भूसा, डीजल से उसे चलाऊँगा
इतना सुनकर बैला बोला, तनिक दया दिखाओ भाई,
बिना चारे के जी लूँगा मैं, पानी तनिक देना पिला भाई
खेत जोतने के बाद मुझको, मैदान में छोड़ देना,
हरी सूखी घास मैं चर लूं तो, फिर से मुझे पकड़ लेना
कहे उमेश वृषभ की सुन लो, सच्चा साथी हूँ तेरा
तेरे आँगन में खुशियाँ बरसें, धन्य हो जाए जीवन मेरा।

कहे उमेश वृषभ की विनती सुन लो,
ट्रैक्टर को छोड़कर मुझ चुन लो
हल चलाऊँ मैं बिना कुछ खाए,
तेल बिन ट्रैक्टर चल ना पाए
मेरा गोबर-मूत्र सब खाद बन जाए,
ट्रैक्टर तो जानलेवा प्रदूषण फैलाए।
हरदम बढ़ाऊँ मैं तेरा मान,
तेरे लिए मैं दे दूंगा जान॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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