दिल्ली।
हिंदी भारत की आत्मा व पहचान है तथा अन्य भाषाओं के साथ इसने समाज तथा राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिंदी ने देश की सांस्कृतिक विविधता को एक सूत्र में पिरोया है और उसे सशक्त बनाया है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इटावा हिंदी सेवा निधि के ३०वें वार्षिक अधिवेशन को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि हिंदी न केवल संचार की आम है, बल्कि बदलते तकनीकी परिदृश्य के अनुसार भी इसने खुद को ढाला है।
श्री बिरला ने कहा कि आज कृत्रिम मेधा के उपयोग से हिंदी साहित्य और कविता की समृद्ध विरासत दुनियाभर में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि भारत में २२ भाषाएं हैं, जिससे सदस्यों के लिए अपनी-अपनी भाषाओं में बात करना स्वाभाविक है। संसद कृत्रिम मेधा जैसी आधुनिक तकनीक के साथ अनुवाद, व्याख्या और प्रतिलेखन जैसी सुविधाओं के उपयोग की व्यवहार्यता तलाश रही है।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ने हिंदी के प्रति उल्लेखनीय सेवा के लिए विद्वानों को न्यायमूर्ति स्व. श्री प्रेम शंकर गुप्त की स्मृति में सारस्वत सम्मान से सम्मानित किया।
(सौजन्य:वैश्विक हिन्दी सम्मेलन, मुम्बई)