कुल पृष्ठ दर्शन : 37

You are currently viewing मनभावन सावन आए

मनभावन सावन आए

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’,
जोधपुर (राजस्थान)
**************************************

मेघ, सावन और ईश्वर…

मनभावन सावन आए,
हरियाली खूब लाए
सावन का महीना,
ये बारिश की बूँदें
बूँदों का पानी,
बहती नदिया का पानी
ये मौजों की रवानी,
ये बदरी ओस की बूँद
सुन्दर मनमोहक काली,
घटा निराली।

मनभावन सावन आए,
सबके मन को भाए
पागल नैना तरसे हैं,
बिछुड़न की तड़पन से
बदरी बादल बरसे हैं,
काले बादल, नीले बादल
सफेद बादल इन्द्रधनुष,
बादल घटा घोर छाई
तेज पवन के झोंके लेके,
वर्षा ऋतु आई
गीत कोई साथ लाई।

रिमझिम-सी फ़ुहार,
बरसी है आज
मन में हलचल मची है,
बरसात के मौसम में,
एक कली-सी खिली है
वो तितली, वो भँवरे की होली-दिवाली बनी है,
मन झूमे-गाए, दिल इतराए
बारिश की बौछारें गिरी है,
मन हरियाली बन्ना गाए।

मनभावन सावन आए,
सबके मन को भाए
फूल की खुशबू चमन में,
तरंग मन को खूब भाई
वर्षा ऋतु आई,
बच्चे, बूढ़े, जवान सभी को भाए
सावन का त्यौहार,
धरती का श्रृंगार, फूलों का हार
बारिश की बहार, ओस की फुहार,
वो शाम की चाय, वो पकौड़े़ की थाली
खूब भाए, मन झूम-झूम जाए,
सैर-सपाटे मन को लुभाए।

मनभावन सावन आए,
सबके मन को भाए
मन गीत-नगमा गाए,
वर्षा ऋतु आए
मनभावन सावन आए।
सबके मन को भाए,
मन हर्ष उल्लास से भर जाए॥