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मन का दीप

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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नव दीप ज्योति चमके,
धन-धान्य से भरा हो
सुंदर सुहावना-सा
संसार हो सभी का।

ख़ुशियों भरी सुबह हो,
झिलमिल चमकती रातें
दुख-दर्द का दमन हो,
फैले नया उजियारा।

दुनिया की आपा-धापी में,
कुछ दिल्लगी के पल हों
मौलिक हो सबकी रचना,
मिटे मन का अँधियारा।

बहे प्रेम-धार बन कर,
आपस का भाई-चारा।
शुभ-कामना यही है,
जले मन का दीप प्यारा॥