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मन बिम्ब स्थिर नहीं

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
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मन बिम्ब स्थिर नहीं
चन्द्र बिम्ब बने कैसे,
उफ़ानों भरे नीर में
बिम्ब चन्द्र तैरें कैसे!

जिव्हा मौन हो जाएं
मन मौन करें कैसे,
जो हो जाएं गौन हम
मौन हम पढ़ें कैसे!

भानू ताप आकाश से
ऊर्जा मन भरे कैसे,
पुंज आत्म बिंदु में
अग्नि ज्योत जले कैसे!

मध्य प्रवाह सरिता में
पोखर,बांध बने जैसे,
हो परतों का विच्छेदन
गहराई उर भरे वैसे।

स्तम्भ स्थिर मन करे,
सकारात्मक भर ऊर्जा।
शनै-शनै चन्द्र अमावस
चन्द्र पूनम करें जैसे॥

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