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हाथों में है ईश समाया

आशा आजाद`कृति
कोरबा (छत्तीसगढ़)
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चिकित्सकों को नमन करूँ मैं। कर्म लगन पर ध्यान धरूँ मैं।
कलयुग के अवतार यही है। फर्ज ध्येय से मुड़े नही है॥

‘कोरोना’ की विषम घड़ी में। जुड़े हुए है श्रेष्ठ कड़ी में।
घर की सारी चिंता त्यागे। ग्रसित मनुज के पीछें भागे॥

वर्तमान में नींद गँवाते। तब जीवन इनसे है पाते।
खतरों से नित जूझ रहे हैं। निसदिन कितना कष्ट सहे हैं॥

हर क्षण हमें सुरक्षा देते। साहस अंतर मन से लेते।
आज चिकित्सक एक सहारा। जगत सार के यही अधारा॥

हृदय रोग या बड़ी बीमारी। पीड़ा हरते हैं ये सारी।
इस धरती के ईश कहाते। मनुज जानवर जीव बचाते॥

गहरा अध्ययन धरें अनुपम। ज्ञान सार हिय रहता उत्तम।
अंग कटे तो वे नहीं डरते। घाव सकल तन का ये हरते॥

आपातकाल जब-जब होता। आस साँस की मानव खोता।
खड़े चिकित्सक उप पथ जानें। शुभ कर्तव्यों को पहचानें॥

मुख पर ये मुस्कान है देते। पीड़ा तन की ये हर लेते।
जीवन इनसे श्रृणी हमारा। रोगग्रस्त तन यही सहारा॥

देह दान को नव तन डाले। अन्य मनुज का जीव सँभालें।
हाथों में है ईश समाया। इनसे जीवन नित हर्षाया॥

नमन भाव है अर्पित करते। शुद्ध देह से हम हैं तरते।
इस युग की है असीम आशा। शुभे चिकित्सक नहीं निराशा॥

परिचय–आशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा,छत्तीसगढ़)में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत श्रीमती आजाद को हिंदी,अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक.(व्यवहारिक भूविज्ञान)तक शिक्षित श्रीमती आजाद का कार्यक्षेत्र-शा.इ. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। इनकी लेखन विधा-छंदबद्ध कविताएँ (हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा)सहित गीत,आलेख,मुक्तक है। आपकी पुस्तक प्रकाशाधीन है,जबकि बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख,शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं। ब्लॉग पर लेखन में सक्रिय आशा आजाद की विशेष उपलब्धि-दूरदर्शन, आकाशवाणी,शोध-पत्र हेतु सम्मान पाना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित में संदेशप्रद कविताओं का सृजन है,जिससे प्रेरित होकर हृदय भाव परिवर्तन हो और मानुष नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामसिंह दिनकर,कोदूराम दलित जी, तुलसीदास,कबीर दास को मानने वाली आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (जनकवि कोदूराम दलित जी के सुपुत्र)हैं। श्रीमती आजाद की विशेषज्ञता-छंद और सरल-सहज स्वभाव है। आपका जीवन लक्ष्य-साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन सार्थक होगा। देवी-देवताओं और वीरों के लिए बड़े-बड़े विद्वानों ने बहुत कुछ लिख छोड़ा है,जो अनगिनत है। यदि हम वर्तमान (कलयुग)की पीड़ा,जनहित का उद्धार,संदेश का सृजन करें तो निश्चित ही देश एक नवीन युग की ओर जाएगा। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है,यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह,अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”

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