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माँ का आँचल

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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माँ अनमोल रिश्ता (मातृ दिवस विशेष) …

माँ तेरे आँचल तले जब
थक के मैं सो जाता हूँ,
भूल के ग़म दुनिया के सारे
मधुर सपनों में खो जाता हूँ।

मेरे आँसू आँख में तेरे
आँखें तेरी सपने मेरे,
रातों को मेरी दिए सवेरे
हँसाती है जब रो जाता हूँ।
माँ के आँचल तले जब,
थक के मैं सो जाता हूँ…

लोरी गा कर मुझे सुलाती
बाँहों में तू मुझे झुलाती,
प्यार से लाल कह के बुलाती
आँखों में सपने संजो जाता हूँ।
माँ तेरे आँचल तले जब,
थक के मैं सो जाता हूँ…

माँ ममता की तू मूरत है
भगवान से मिलती सूरत है,
किसी ओर की नहीं ज़रूरत है
चरण आँसुओं से धो जाता हूँ।
माँ तेरे आँचल तले जब,
मैं थक के सो जाता हूँ…

आज नहीं साथ है मेरे
स्मृतियां तेरी मुझको घेरे,
ज्यों सागर में उठती लहरें
बीज स्नेह के बो जाता हूँ।
माँ तेरे आँचल तले जब,
थक के मैं सो जाता हूँ…

कमी तेरी बहुत अखरती है
दुनिया सूनी सी लगती है,
जब-जब ये शाम ढ़लती है
पलकें याद में भिगो जाता हूँ।
माँ तेरे आँचल तले जब,
थक के मैं सो जाता हूँ…॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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