राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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संसार में लाई मुझे तू,
बेपनाह मुझे प्यार दिया
दिन-रात कष्ट सही तू,
मेरा जीवन संवार दिया।
माँ,माँ कहते हुए मैं
आँचल में पड़ा रहा
तेरी ही महिमा से मैं,
आज तो बड़ा हुआ।
कहते लोग तुम हो अनपढ़,
दुनियादारी में है तू जड़
पर तूने ही प्रथम ज्ञान दिया,
बातों-बातों में कर्म महान दिया।
याद है मुझे तेरा डांटना,
मुझे प्यार से समझाना
मेरे दु:ख से दुखी होना,
मेरे सुख से सुखी होना।
तू ही है मेरी रक्षक,
तेरा ना कोई तौल।
अमृत है तेरे बोल,
माँ तू है अनमोल॥
परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।