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माँ भारती के पुजारी

आचार्य संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
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अटल बिहारी वाजपेयी जन्म दिवस (२५ दिसम्बर) विशेष….

ओजस्वी वक्ता अटल बिहारी,
कवि हृदय, साहित्य विहारी
रग में देश भक्ति की चिंगारी,
माँ भारती के सतत् पुजारी।

बालक संघ से भगवाधारी,
जनसंघ के वो बने प्रभारी
अनुशासित, स्वयं में खुद्दारी,
राजनीति की दशा सुधारी।

अटुट निर्णय धनी अटल बिहारी,
कद्दावर नेता, भाजपा पालनहारी
श्रेष्ठ सांसद, सर्वदल के सत्कारी,
चिंतक, विचारक, प्रणेता रहे भारी।

त्याग, तपस्या, संघर्ष उनकी सवारी,
लोकप्रियता की अज़ब बलिहारी
कमल फूल के प्रथम वे कृष्ण मुरारी,
तपे आग के हुंकारे थे अटल बिहारी।

राजनीति के संघर्षों के वो अवध बिहारी,
संयुक्तराष्ट्र संघ में हिंदी जोड़े अटल बिहारी
पोखरण परमाणु परीक्षण जोड़े अटल बिहारी,
अमेरिका को घुटने पर लाए अटल बिहारी।

अटल सत्य, अटूट शक्ति थे अटल बिहारी,
कारगिल के विजय मंत्र थे अटल बिहारी
पाक के काल, महाकाल थे अटल बिहारी,
भारत विशाल, देश की ढाल थे अटल बिहारी।

डॉ. श्यामा प्रसाद के सच्चे शिष्य थे अटल बिहारी,
आडवाणी जी के परम मित्र थे अटल बिहारी
भारत की जनता के नेता विचित्र थे अटल बिहारी,
‘भारत रत्न’ चलचित्र सुशोभित अटल बिहारी।

राम राज्य के शिखर पुरुष थे अटल बिहारी,
सर्वधर्म समभाव, सर्वमान्य थे अटल बिहारी।
लोकतंत्र के नेता अब तक सबसे भारी,
प्रधानमंत्री-संसद गरिमा वाजपेयी अटल बिहारी॥

परिचय-सिंदरी (धनबाद, झारखंड) में १४ दिसम्बर १९६४ को जन्मे आचार्य संजय सिंह का वर्तमान बसेरा सबलपुर (धनबाद) और स्थाई बक्सर (बिहार) में है। लेखन में ‘चन्दन’ नाम से पहचान रखने वाले संजय सिंह को भोजपुरी, संस्कृत, हिन्दी, खोरठा, बांग्ला, बनारसी सहित अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान है। इनकी शिक्षा-बीएस-सी, एमबीए (पावर प्रबंधन), डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल) व नेशनल अप्रेंटिसशिप (इंस्ट्रूमेंटेशन डिसिप्लिन) है। अवकाश प्राप्त (महाप्रबंधक) होकर आप सामाजिक कार्यकर्ता व रक्तदाता हैं तो साहित्यिक गतिविधि में भी सक्रियता से राष्ट्रीय संस्थापक-सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच मुंबई (पंजी.), संस्थापक-संरक्षक-तानराज संगीत विद्यापीठ (नोएडा) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.एन. क्लब (मुम्बई) सहित अन्य संस्थाओं से बतौर पदाधिकारी जुड़े हैं, साथ ही पत्रकारिता का वर्षों का अनुभव है। आपकी लेखन विधा-गीत, कविता, कहानी, लघु कथा व लेख है। बहुत-सी रचनाएँ पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हैं, साथ ही रचनाएँ ४ साझा संग्रह में हैं। ‘स्वर संग्राम’ (५१ कविताएँ) पुस्तक भी प्रकाशित है। सम्मान-पुरस्कार में आपको महात्मा बुद्ध सम्मान-२०२३, शब्द श्री सम्मान-२०२३, पर्यावरण रक्षक सम्मान-२०२३, श्रेष्ठ कवि सम्मान-२०२३ सहित अन्य मिले हैं तो विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कई बार उपस्थिति, देश के नामचीन स्मृति शेष कवियों (मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि) के जन्म स्थान जाकर उनकी पांडुलिपि अंश प्राप्त करना है। श्री सिंह की लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का उत्थान, राष्ट्रीय विचारों को जगाना, हिन्दी भाषा, राष्ट्र भाषा के साथ वास्तविक राजभाषा का दर्जा पाए, गरीबों की वेदना, संवेदना और अन्याय व भ्रष्टाचार पर प्रहार करना है। मुंशी प्रेमचंद, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, किशन चंदर और पं. दीनदयाल उपाध्याय को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले ‘चंदन’ के लिए प्रेरणापुंज-पूज्य पिता जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गॉंधी, भगत सिंह, लोकनायक जय प्रकाश, बाला साहेब ठाकरे और डॉ. हेडगेवार हैं। आपकी विशेषज्ञता-साहित्य (काव्य), मंच संचालन और वक्ता की है। जीवन लक्ष्य-ईमानदारी, राष्ट्र भक्ति, अन्याय पर हर स्तर से प्रहार है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अपने ही देश में पराई है हिन्दी, अंग्रेजी से अंतिम लड़ाई है हिन्दी, अंग्रेजी ने तलवे दबाई है हिन्दी, मेरे ही दिल की अंगड़ाई है हिन्दी।”