ममता साहू
कांकेर (छत्तीसगढ़)
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हरितालिका का त्यौहार,
संग लाए खुशियाँ अपार
हर सुहागिन देखो आज,
करती हैं सोलह श्रृंगार।
पायल, बिछिया, चूड़ी, बिंदिया,
गला सजे नौलखा हार
हाथ मेंहदी पाँव महावर,
माथे सजती सिन्दूर सार।
निर्जला व्रत रख,
करती है यह उपवास
मन मंदिर में रहता,
पति परमेश्वर का वास।
जप करती गौरी शंकर का,
हर क्षण हर श्वांस
अमर रहे सुहाग सदा,
रखती है यह विश्वास।
करके गौरी शंकर का आह्वान,
मांगती है यह वरदान।
अखंड रहे सौभाग्य मेरा,
और मिले सदा सम्मान॥