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मेरी जान तिरंगा

सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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गणतंत्र दिवस : देश और युवा सोच…


मेरी जान तिरंगा लहर लहराये‌,
अमर-शहीदों की बलि-वेदी पर…
इसके तीन रंग केसरिया,सफेद,हरा
जो हैं वीरता,सच्चाई,हरियाली,
बीच के चक्र चौबीसों घंटे
सभी को लेकर हैं तैयार।

जय जन गण मन अधिनायक जय है,
राष्ट्र-गान के राष्ट्रीय-पर्व
के शान-ऐ-शान पे।

भारत की एकता सम्प्रभुता की,
अरमानों में संविधान की हर
अधिकारों को निभायेंगे,
तन-मन से हम अपने गणतंत्र की
रखवाली में प्राणों की,
बाजी देकर मातृ-भूमि
की रक्षा में हर-पल।

भारत माँ के शीश मुकुट में,
हिमालय के उत्तंग शिखर
से अमर अमृत पुष्प बरसायेंगे,
वन्दे मातरम् के
नारों से जय हिंद जय,
बोल में गणतंत्र दिवस
की गरिमा में देश का कोई,
ना रहे भूखा-नंगा बेसहारा।

स्वतंत्र देश का वासी हूँ,
ये वतन हमारा श्रमेव जयते से
तटस्थ हो जीवन जीते,
नहीं किसी से वैर-भाव ना
हो ईर्ष्या दमनकारियों से,
मुँह न मोड़ेंगे हम लड़ लड़ेंगे।
देश में अमन चैन शांति की,
खातिर अपनी आन-बान-शान में॥

परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।

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