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मोटापा कम करने का सही उपाय

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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जागरूकता…

आयुर्वेद में ऐसे कई उपाय हैं, जो वजन कम करने के मामले में सभी लोगों के लिए सामान रूप से काम करते हैं। वजन बढ़ना आजकल की सबसे बड़ी समस्या बन गया है। बढ़ता मोटापा न केवल आपकी सुंदरता को कम करता है, बल्कि मधुमेह और उच्च तनाव जैसी गंभीर बीमारियों का कारण भी बनता है। वजन कम करने के उपाय भी बहुत हैं लेकिन कोई भी तरीका बहुत जल्दी परिणाम नहीं दे सकता है। यही वजह है कि वजन कम करने के मामले में धैर्य से काम लेना जरूरी है। यही वजह है कि अपने वजन, शरीर के आकार, बीमारी, समय और जगह के हिसाब से सही उपाय चुनना बहुत जरूरी है।
इसके लिए नियमित दिनचर्या का पालन करना बहुत जरूरी है। इससे न केवल स्वस्थ रहने बल्कि प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत बनाने में भी मदद मिलती है। आयुर्वेद में ऐसे कई उपाय हैं, जैसे १२ घंटे के अंतराल से भोजन करना। इसका मतलब है कि आप १२ घंटे खाना खाते हैं और बाकी १२ घंटे उपवास करते हैं। यह वैज्ञानिक और धार्मिक पक्ष हैं। जैन दर्शन में रात्रि भोजन का त्याग का बहुत महत्व है। यह अहिंसात्मक जीवन पद्धति का घोतक है।
अपने खाने को बदलने और इसे बेहद कम कैलोरी वाला बनाने की बजाय आप १२ घंटे अंतराल का पालन कर सकते हैं। इसका मतलब है कि आप दिन के उजाले के दौरान, सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच खा सकते हैं। यह आपके शरीर को आपके द्वारा खाए जाने वाली हर चीज को पचाने में मदद करता है और वह सब कुछ बाहर निकाल देता है जो अनावश्यक है।
पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से भूख को दबाने में मदद मिलती है। पर्याप्त पानी पीना आपके शरीर को अविष करने का सबसे अच्छा तरीका है। यह पाचन को बेहतर करता है। कम पानी के सेवन से कब्ज, निर्जलीकरण हो सकता है जो हार्मोन को असंतुलित कर सकता है और वजन बढ़ा सकता है। वसा घटाने के लिए गर्म पानी सबसे अच्छा है।खूब पानी पीने का आशय यह है कि व्यक्ति आवश्यकता के अनुरूप पिए।
शारीरिक क्रियाकलाप से पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार करने में मदद होती है और सभी कोशिकाओं को पर्याप्त पोषण और ऑक्सीजन मिलती है।
नींद शरीर से अतिरिक्त चर्बी को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है। रात १० बजे तक सोने से लीवर डिटॉक्स होता है क्योंकि रात १० से २ बजे तक पित्त का प्रमुख समय होता है, जिससे जल्दी वजन कम होता है।
चीनी, डीप फ्राइड और सरंक्षित भोजन से तौबा करने से परहेज करने से आपके लीवर पर कम दबाव पड़ेगा जिससे बेहतर पाचन में मदद मिलेगी।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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