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यह शहर है

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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यह शहर है,
यह शहर है कोलाहल का संसार,
हरपल-हरदम है यहां हाहाकार।
सड़कों पर दिखती अपार भीड़,
सब हैं दिखते जैसे एक कर्मवीर।
भाग-दौड़ है इसकी पहचान,
नहीं दिखते जैसे हों इन्सान।
यह शहर है…!

नहीं है रिश्तों में यहां मिठास,
अपनेपन का नहीं होता अहसास।
माता-पिता का यहां ठौर नहीं,
एकल परिवार का शौर्य यही।
अपनापन है बेमानी दिखती,
सबसे सब अनजानी दिखती।
यह शहर है…!!

बुजुर्गों की यहां न कोई कीमत,
दो बच्चों के परिवार में हैं सब सीमित।
माँ-बाप होते हैं यहां हर पल प्रताड़ित,
स्नेह,प्यार व भावना है नहीं जीवित।
यह शहर है..!!!

बड़ी-बड़ी इमारतों का क्या है रहस्य ?
आज भी अनजान हैं यहां हर सदस्य।
अगल-बगल नहीं मिलते कभी,
अनजान से दिखते यहां सभी।
यह शहर है…!!!!

दुःख-तकलीफ का नहीं यहां कोई रंग,
यहां है दिखती सबकी अलग-अलग उमंग।
मृत्यु पर भी यहां कभी साथ नहीं,
सब लगते हैं जैसे अनाथ यहीं।
यह शहर है…!!!!!

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा और बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचनाकर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र,हिंदी,इतिहास, लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एल.एल.बी., एल.एल.एम.,एम.बी.ए.,सी.ए.आई.आई.बी. व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता,रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह)आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर,चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानियाँ(पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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