ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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रूस-यूक्रेन विशेष…
मारने मरने…झेलने वाले,
सभी तो होते हैं… प्रबुद्ध…
युद्ध तो कोई नहीं न चाहता,
फिर क्यों ? होते हैं ये युद्ध!
परिवर्तित संसार विकसित दिमाग,
बना-बना आयुध संसाधन
बम बारूद गोले…जंग मांजने,
करते क्या ? ये जंग संपादन!
क्या ? फिर इतिहास लिखेगा गाथा,
निर्लज्ज मानवता होगी क्रुद्ध…।
कारखाना भवन नहर पुल सड़क,
क्यों बनाए ? श्रम धन हसरत…
निर्माण,विध्वंस के मध्य फंसा,
धुँआ-धुँआ! मानव कीमत…
कल पुर्जों वाला मस्तक दब दिल,
ज्ञान प्रकाश ‘मैं’ में अवरुद्ध…।
ये भूख बड़ा दिखाए तमाशा,
कहीं भूमि या चौधराहट की…
सर्वस्व खा अहंकार यह भूखा,
सुने न सर्वनाश आहट भी…।
झूठी भूख सब खा भटकेंगे,
तब रुलाएगी! फिर भूख शुद्ध॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।