लोकार्पण…
इंदौर (मप्र)।
यह काव्य संग्रह दांपत्य की प्रीति है, एवं युवा पीढ़ी को प्रेम और मानवीय संबंधों की गहराई को समझने का अवसर देगा। उनकी सरल सुंदर और गहरी भावनाओं का मिश्रण पाठकों को एक अद्वितीय अनुभूति प्रदान करेगी।
मुख्य अतिथि साहित्यकार डॉ. आशुतोष दुबे ने यह बात वामा साहित्य मंच द्वारा कवयित्री प्रीति दुबे की काव्य कृति ‘प्रीत के नवरंग’ के लोकार्पण समारोह में कही। मंच की प्रचार प्रमुख सपना साहू ‘स्वप्निल’ के अनुसार आयोजन का प्रारंभ सुमधुर सरस्वती वंदना के साथ संगीता परमार ने किया। शब्द स्वागत मंच की अध्यक्ष ज्योति जैन ने किया। आपने ‘प्रीत के नवरंग’ की भूमिका रखते हुए बताया कि यह कृति झरने -सी झरती जाती है। कवयित्री ने प्रेम के विभिन्न पहलुओं को खूबसूरती से उकेरा है। प्रीति दुबे की सखी नीरु राय ने कहा कि प्रीति की रचनाएं पूर्व प्रायोजित नहीं लगती, बल्कि इसके विभिन्न भावों-जैसे समर्पण, विरह, और प्रतीक्षा-को भी जीवंत रूप से चित्रित करती हैं।
कवयित्री ने अपनी पुस्तक के विषय में बताया कि उन्होंने प्रीत के सभी रंगों को उकेरा है। अपनी कविता ‘प्रणय पांखुरी’ को सुनाते हुए प्रेम के पर्याय कृष्ण जी को अपने लेखन का प्रेरणास्त्रोत बताया।
इस अवसर पर चर्चाकार डॉ. शोभा जैन ने पुस्तक की विषय-वस्तु और काव्य शैली पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि ‘प्रीत के नवरंग’ सिर्फ एक काव्य संग्रह नहीं, बल्कि प्रेम के विभिन्न रंगों की एक कलात्मक यात्रा है। यह कविताएं दांपत्य के राग, अनुराग और विरक्ति को बताती है। यह आत्मकथ्य हर पाठक के दिल को छू लेगी।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे साहित्य अकादमी मप्र के निदेशक डॉ. विकास दवे ने कृति की सराहना करते हुए कहा कि प्रीति दुबे की कविताएं वर्तमान समय में साहित्य की आवश्यकता हैं। यह पुस्तक भावनाओं के इंद्रधनुष को प्रस्तुत करती है।
प्रारम्भ में वामा संस्थापक अध्यक्ष पद्मा राजेन्द्र व विजय सिंह चौहान आदि ने अतिथियों का स्वागत किया।
डॉ. अंजना चक्रपाणी मिश्र ने कार्यक्रम का संचालन किया। रितेश दुबे ने आभार माना।