बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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रचनाशिल्प:११ वर्ण, प्रति चरण ४ चरण, २-२ समतुकांत हो।
रगण नगण रगण लघु गुरु २१२ १११ २१२ १ २
वीर पीर हर भूमि नीर की।
पेड़ जंतु खग ताल तीर की।
मेघ आज नभ चाल काल है।
देख अंत फिर मंद हाल है।
चेत धीर जन भाव भावना।
ले सहेज जल भूमि कामना।
मीत मान यह बात आज ले।
तो सुधार हर भाँति काज ले।
कूप कुण्ड भर ले विचार के।
खेत मेड़ कर ले सुधार के।
ले कुदाल चल आज खेत में।
हो सँभाल जल पंथ रेत में।
परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।