डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)
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विश्व क्रिकेट के व्योम क्षितिज पर, विजय पताका लहरायी है,
बेटियाँ बनी परवाज़ भारती, महिला क्रिकेट जय पायी है
बनी खिलाड़ी भारत बेटी रनों का है अम्बार लगायी,
महिला क्रिकेट सुनहर अतीत लिख भारत शान बढ़ायी है।
अथक प्रयासों का प्रतिफल शुभ प्रथम बार विजय दिलायी है,
गौरवमयी गाथा क्रिकेट जग भारत महिला रच पायी है
महिला क्रिकेट के विश्व धनुर्धर देशों पर है जीत दिलायी,
मिले मान सम्मानित भारत इतिहास विजय रच पायी है।
प्रथम जीत नवगीत खुशी बन, भारतीयों का शान बढ़ायी है,
महिला क्रिकेट भारत स्वर्णिम बेटियों ने जयगान करायी है
विश्व कप विजय स्वर्ण जड़ित पट चमचमाता स्वरूप दिखायी,
भारत की नारी शक्ति दम विश्व विजेता बन मुस्काई है।
आएँ मिल स्वागत अभिनन्दन महिला क्रिकेट विजय पायी है,
अखिल राष्ट्र भारत बेटी जग नयी कीर्ति अभ्यूदय लायी है
आन बान स्वाभिमान बेटियाँ सफलता उत्तुंग है चढ़ पायी,
रोम रोम जनगण मन भारत युवा नार्य शक्ति दर्शायी है।
आपस में रख तालमेल मन, महिला क्रिकेट उड़ान भर पायी है,
जय जयकारा भारत विजयी दीवाली जश्न मनायी है।
बेटी न केवल घर लक्ष्मी परम वीर शौर्य बल दिखायी,
खेलों की दुनिया क्रिकेट जय बेटियाँ परचम लहरायी है॥
परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥
