बबिता कुमावत
सीकर (राजस्थान)
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शब्दों से गढ़ती है जीवन,
ज्ञान का सागर भरती है।
भ्रम के बादल दूर भगाती,
माँ-सी ममता देती है।
छिपी प्रतिभा बाहर निकालती,
वाणी में संस्कार भरती है।
हर प्रश्न का उत्तर बनती,
सच्चा सहारा बन जाती है।
कक्षा में मुस्कान है लाती,
वह कल का निर्माण करती है।
शिक्षा का आधार है बनती,
जीवन की शिक्षा देती है।
ज्ञान की लौ जला देती,
जग को उजियारा देती है।
विवेक वृक्ष का विस्तार करती,
बाल मन को दिशा देती है।
कर्तव्य का गीत वह रचती,
निज अस्तित्व में समर्पित कर देती है॥
