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संजीदगी कुछ-कुछ

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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रचनाशिल्प:२२१२ २२१२ २२१२ २२१२

आज फ़ित्ना में लगे पाकीज़गी कुछ-कुछ।
मुस्कराहट लाएगी संजीदगी कुछ-कुछ।

साँस बन बहते यहीं वादे सबा में तुम,
हो रही महसूस अब मौजूदगी कुछ-कुछ।

चाक है दिल क्यों चला सीने कहीं खंजर,
बेलगाम कही सुनी शर्मिंदगी कुछ-कुछ।

बेख़ुदी में गुम हयात फँसी घुटी चीखें,
क्या नशे में भागती ये तिश्नगी कुछ-कुछ।

एक जमीं एक चाँद सूरज बेकस सभी है,
मौज तन्हा क्यों करे नाराजगी कुछ-कुछ।

दिल फकीरी में मुसाफिर बन जिये बेहतर,
रंग लाती है जरा आवारगी कुछ-कुछ।

ख़्याल स्याही में कलम जब डूब कर निकले,
दीद आते लोग को दीवानगी कुछ-कुछ॥

(इक दृष्टि यहाँ भी:फ़ित्ना=विद्रोह,बेकस=अकेला, हयात=जिंदगी,तिश्नगी=प्यास)

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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