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सच्चे मित्र से ज़िन्दगी खुशहाल

प्रो. लक्ष्मी यादव
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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मित्रता-ज़िंदगी…

हमारे जीवन में बहुत से रिश्ते बनते हैं और उसको हम सभी निभाते भी हैं, पर सभी रिश्तों में सबसे अनमोल जो रिश्ता होता है वह है एक माँ। जी हाँ, माँ बच्चा जब जन्म लेता है, उसके कुछ साल बाद उस बच्चे की पहली मित्र होती है उसकी माँ, जो अपने बच्चे के साथ बच्चा बनकर मित्र के समान खेलती है। उसका साथ देती है। उसके बाद जब वह समाज में, विद्यालय में, आस-पड़ोस में लोगों के संपर्क में आता है, मेल-मिलाप होता है तो वह समाज-विद्यालय में मित्र बनाता है।

विद्यार्थी जीवन स्वतंत्र होता है। यह ऐसा साथ, जिसके साथ हम आसानी से घुल-मिल जाते हैं, जिससे दिल की बात आसानी से हम कह सकते हैं, वही अपना सच्चा मित्र होता है।
‘मित्रता’ एक अनमोल रिश्ता है, जो विश्वास, समझ, प्रेम और सहारे पर आधारित होता है। अच्छे मित्र कठिन समय में हिम्मत और सहारा देते हैं। दोस्ती जीवन में खुशी, हँसी और यादें भर देती है। मित्र एक-दूसरे को सही राह दिखाते हैं, और गलतियों से सीखने में मदद करते हैं। अच्छे-बुरे समय में साथ निभाना मित्रता की सबसे बड़ी खूबी है। सच्चे दोस्त हमें अपने-आप पर विश्वास दिलाते हैं।
दोस्ती के कई बड़े उदाहरण मौजूद हैं, जिनमें प्रमुख हैं-कृष्ण और सुदामा, राम और सुग्रीव, कर्ण और दुर्योधन। इन कहानियों में दोस्ती, त्याग और नि:स्वार्थ प्रेम की भावना को दर्शाया गया है।
मित्रता, ज़िन्दगी की एक ऐसी मिठास है, जो बिना कहे दिलों को जोड़ देती है। यह केवल साथ बिताए समय की बात नहीं, बल्कि एक-दूसरे के लिए हमेशा मौजूद रहने का नाम है। सच्चे मित्र हमारी ज़िन्दगी को आसान, खुशहाल और अर्थपूर्ण बना देते हैं।