संजय वर्मा ‘दृष्टि’
मनावर (मध्यप्रदेश)
********************************
संवर जाता है,
श्री बालाजी का मंदिर
पुष्प की माला अर्पण से,
पूजन से
भजन से,
कथा श्रवण से
जब भक्ति भाव रमा हो मन में।
नारियल, दीपक और अर्जी
लगते जैसे वाहक हों श्री बालाजी के
मन महकता,
निखरता जाए
जब लगी हो लगन श्री बालाजी से।
अर्जी सुनी जाती,
श्री बागेश्वर धाम में
समस्याओं को श्री बालाजी के
चरणों में रख कर,
विश्वास के सहारे
हो जाता समाधान।
जब सनातन धर्म का ध्वज,
फहराने से होगा
धर्म का प्रचार,
यही तो है सनातन धर्म की पुकार।
श्री बालाजी हर इंसान की सुनते हैं,
नित्य करो दर्शन
जाकर श्री बालाजी के द्वार।
सुखमय जीवन होगा,
बोलो जय सीताराम॥
परिचय-संजय वर्मा का साहित्यिक नाम ‘दॄष्टि’ है। २ मई १९६२ को उज्जैन में जन्मे श्री वर्मा का स्थाई बसेरा मनावर जिला-धार (म.प्र.) है। भाषा ज्ञान हिंदी और अंग्रेजी का रखते हैं। आपकी शिक्षा हायर सेकंडरी और आयटीआय है। कार्यक्षेत्र-नौकरी ( मानचित्रकार के पद पर सरकारी सेवा) है। सामाजिक गतिविधि के तहत समाज की गतिविधियों में सक्रिय हैं। लेखन विधा-गीत, दोहा, हायकु, लघुकथा, कहानी, उपन्यास, पिरामिड, कविता, अतुकांत, लेख, पत्र लेखन आदि है। काव्य संग्रह-दरवाजे पर दस्तक, साँझा उपन्यास-खट्टे-मीठे रिश्ते (कनाडा), साझा कहानी संग्रह-सुनो, तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो और लगभग २०० साँझा काव्य संग्रह में आपकी रचनाएँ हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में भी निरंतर ३८ साल से रचनाएँ छप रहीं हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में देश-प्रदेश-विदेश (कनाडा) की विभिन्न संस्थाओं से करीब ५० सम्मान मिले हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले संजय वर्मा की विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर मिले सम्मान हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-मातृभाषा हिन्दी के संग साहित्य को बढ़ावा देना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,तो प्रेरणा पुंज-कबीर दास हैं। विशेषज्ञता-पत्र लेखन में है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-देश में हिंदी को पूर्ण बढ़ावा मिले, बेरोजगारी की समस्या दूर हो, महंगाई भी कम हो, महिलाओं पर बलात्कार, उत्पीड़न, शोषण आदि पर अंकुश लगे और महिलाओं का सम्मान हो।
