हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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आओ इस नये युग में,
नवाचार सृजन की कामना करें
बुराईयों से दूर रह कर,
नव प्रभात की बेला में
एकजुटता के इस समावेश में आगे बढ़ें।
वैचारिक मंथन के विचारों में,
शब्दों के इस चिंतन में
संवाद की गरिमा को बताते हुए,
इस युग में नये समावेश का जयघोष करें।
कभी खत्म ना हो मैत्री भाव जगत में,
सदभाव समन्वय की परिकल्पना को साकार करें
आओ मिलकर समावेश में, भाईचारे की जय-जयकार करें।
नफ़रत व मतभेद न हो आपस में,
हिंसा व मार-काट का वह दौर न आए कभी
सभी धर्मों में सभी समुदायों में,
हम भारतीयों का मान-सम्मान बढ़े।
अब इस नये युग में दूरियाँ मिट जाएँ,
इस नये समावेश में प्यार ही प्यार हो जहां में, और हम आगे बढ़ें…॥