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सरताज थीं सुरों की

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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सुरों की अमर ‘लता’ विशेष-श्रद्धांजलि….

सुरों की सरताज थीं,
देश पर करती नाज थीं
निर्मल हृदय था उनका,
संगीत जगत में खास थीं।

अंतरात्मा की आवाज से,
सुरों की साधना करती थीं
संगीत के सुरों में बहकर,
ईश्वर की आराधना करती थीं।

भर देती जीवन में रंग,
वो ऐसी सदाबहार थीं
संगीत दिलों का उत्सव है,
ये बात सभी से कहती थीं।

बारिश की रिमझिम बूंदों में,
संगीत स्वर बहा करती थीं
मुर्दों में जान आ जाती जब वो,
सुर-ताल में गाया करती थीं।

हुआ क्या अचानक उनको,
सारे जगत को हैरानी थी।
सुर-ताल की अमर ‘लता’,
अब हमेशा के लिए मुरझाई थीं।

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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