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साल का अवसान

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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नया उजाला-नए सपने…

हमेशा की तरह,
उड़ गया
पक्षी की माफ़िक़,
पंख लगा कर
फिर से एक साल।

इस साल ने,
दिया ज़्यादा है
लिया है कम,
कभी ख़ुशी दी तो
कभी ग़म।

उम्र का,
एक और साल
चढ़ गया भेंट,
समय की वेदी पर।

जीवन की शाख से,
कुछ सूखे पुष्प
टूट कर गिर गए,
तो कुछ नई
कोपलें फूटी हैं,
पूरे हुए कुछ
स्वप्न्न आँखों के,
कुछ दिल की
उम्मीदें टूटी हैं।

जो बीत गया,
सो बीत गया
आगे की सुध ले,
छोड़ कर,
चिन्ता का दामन।

आओ,
हम सब मिलकर
चिंतन करें
साल का अवसान है।
हँसते-गाते बीते,
ये नव-वर्ष
बस यही अरमान है॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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