प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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सावन की ये तीज,सभी के मन को भाये।
बनते घर पकवान,द्वार आँगन महकाये॥
हरियाली चहुँओर,पुष्प की खुशबू आती।
रंग-बिरंगे पात,सभी के मन को भाती॥
सज-धज नारी आज,मायके में वो जाती।
सखी सहेली साथ,बैठ के बात बताती॥
मिलकर बहना भ्रात,खूब मस्ती है करते।
मम्मी-पापा साथ,घरों में खुशियाँ भरते॥
बाबा भोलेनाथ,भजन सब मिलकर गाते।
सखी सहेली साथ,सभी मन्दिर में जाते॥
करे तीज उपवास,पिया की उम्र बढ़ाती।
शिव भोले को आज,दूध अरु दही चढ़ाती॥
कर सोलह श्रृँगार,प्रार्थना करती नारी।
कर दो संकट दूर,कष्ट आये ना भारी॥
सावन की है तीज,डाल में बाँधे झूले।
तन-मन भरे उमंग,दिलों में कलियाँ फूले॥