कुल पृष्ठ दर्शन : 303

You are currently viewing सुर-ताल का उपहार दे गई

सुर-ताल का उपहार दे गई

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
***************************************

सुरों की अमर ‘लता’ विशेष-श्रद्धांजलि….

गीतों का इस जहान को भंडार दे गयी।
संगीत का हमको नया संसार दे गयी।

‘दीदी’ कहा समाज ने हिन्दोस्तान ने,
लाखों नए इस देश को फनकार दे गयी ।

जिस देवता के गीत को गाकर किया अमर,
उस गीत से प्रदीप को आभार दे गयी।

मैं क्या कहूँ उसके लिए शब्दों की है कमी,
साहित्य को सुर-ताल का उपहार दे गयी।

आवाज ही पहचान है जिस गीत में कहा,
उस लेखिनी की नोंक को भी धार दे गयी।

वो शारदा की साधना भारत का रत्न है,
करुणा-दया के साथ में श्रृंगार दे गयी।

वो चाहती थी देश ये फिर से महान हो,
‘हलधर’ हमारी नाव को पतवार दे गयी॥

Leave a Reply