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‘सृजन’ के आभासी आयोजन में हुई पावस पर काव्य चर्चा

विशाखापट्टनम।

सक्रिय हिंदी साहित्य संस्था ‘सृजन’ (विशाखा.) ने अपने १६० वें कार्यक्रम में पावस साहित्य चर्चा का आभासी आयोजन किया। इसमें सभी ने सुंदर रचना पाठ किया।
यह कार्यक्रम डॉ. के. अनीता ने सरस्वती वंदना से आरंभ किया। स्वागत भाषण जय प्रकाश झा (रत्नागिरी) ने देते हुए सृजन के उद्देश्यों प्रकाश डाला और कहा कि मासिक बैठकों द्वारा रचनाकारों को हिंदी साहित्य सृजन के प्रति प्रोत्साहन दिया जाता है। सचिव डॉ. टी. महादेव राव ने कहा कि साहित्य एक गंभीर प्रक्रिया है। चिंतन और वैचारिक मंथन से ही अच्छी रचना का जन्म होता है।
रचना पाठ कार्यक्रम में पहले डॉ. मधुबाला कुशवाहा ने ‘सावन की रिमझिम’ शीर्षक की अपनी रचना में जीवन की विविध स्थितियों का सुंदर और प्रभावी चित्रण प्रस्तुत किया। रामप्रसाद यादव ने बारिश के मंजर अपनी कविताओं में दिखाए। सीमा वर्मा, डॉ. अनीता,
मीना गुप्ता और डॉ. शकुंतला बेहुरा आदि ने भी अपनी रचना में बारिश, खेत किसान, बैल और प्रकृति का सुंदर चित्रण करते हहुए कविताएं सुनाई।
कार्यक्रम का संचालन सृजन के अध्यक्ष नीरव वर्मा (बेंगलुरु) ने किया।