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सोचो, अगर सावन न हो!

बबीता प्रजापति 
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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रिमझिम अगर सावन न हो,
चूड़ी की खन-खन न हो
सपने मनभावन न हो,
नैनों का दर्पण न हो
सोचो कैसा रहेगा…!

अम्बर में बादल न हो,
आँखों में काजल न हो
सजनी का आँचल न हो,
मन ये दीवाना पागल न हो
सोचो कैसा रहेगा…!

धरा ये ढाणी न हो,
नदियों में पानी न हो।
सखी प्रिय सयानी न हो,
झूलों पे राधा रानी न हो
सोचो कैसा रहेगा…!!

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