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हर दिल में प्यार चाहिए

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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हर दिल में प्यार का कारोबार चाहिये,
सबके अंदर मोहब्बत लगातार चाहिये।
चाहिये अमन-चैन सकूं की ही बात-
हर हक़ का असली ही हक़दार चाहिये॥

कर्तव्य निभायें तभी ही अधिकार चाहिये,
पतझड़ नहीं हर बाग में बहार चाहिये।
चाहिये भावना संवेदना का ज्वार दिलों में-
हर व्यक्ति में मानवता का संचार चाहिये॥

हर आदमी इंसानियत का इश्तिहार चाहिये,
बस आपस में प्रेमभरा व्यवहार चाहिये।
चाहिये नैतिकता से हर किसी का लगाव-
हर जीवन से दूर संकट दुर्व्यवहार चाहिये॥

नफरत की हम सबको बस हार चाहिये,
कभी न टूटे दिलों में वह एतबार चाहिये।
चाहिये दौलत प्यार की बेशुमार हमको-
हर किसी का हर किसी से सरोकार चाहिये॥

भरी हुई हर रिश्ते के बीच दरार चाहिये,
एक छत तले रहता पूरा परिवार चाहिये।
चाहिये मोहब्बत से लबरेज संसार हमको-
स्वर्ग से भी सुंदर धरती का श्रृंगार चाहिये॥

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