डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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कला साधना बने अगर तो, संस्कृति की पहचान बनेगी
तन्मयता से अभिव्यक्ति हो तो, अंतर्मन में रसधार बहेगी।
चित्रकार अपने चित्रों से भर-भर कर रसपान कराता,
अंकित होते चित्र हृदय में, अंतर्मन रंग में रंग जाता।
राग-रागिनी बन गीतों की गूंजें, स्वर की स्वर लहरी जब,
ताल और आलापों में मन वीणा झंकृत कर दे तब।
शाश्वत आनंद मिले कला से, सौंदर्य प्रेम जागृत हो जाए,
प्रतिबिंबित ईश्वर हर कण में, मूर्ति में प्राण स्थापित हो जाए।
मेहंदी से सज्जित मृदुल हथेली, गहनों से सुसज्जित है नारी,
कला की वह पहचान बनेगी ,सुंदर तन-मन को रंग जाती।
भावों के कोमल कुसुम से कवि, कविता का हार बनाता।
भावुक रसिक इसे सुनते हैं, प्रेम के मोती माल बनाता।
अंगों की कविता नृत्य कला है, चित्रकला कविता रंगों की,
संगीत की सरगम मूर्ति कला है, साहित्य जान है सभी कला की।
संस्कृति में कला है बसती, मान कला का और बढ़ाती।
सौंदर्य के रूप में सजती, भारत की पहचान बनाती।
कला समाज को नई दिशा दे, उद्देश्य सबके पावन हो जाए,
दिल में उतर कर प्रेरित कर दें, प्रगतिशील तब राष्ट्र हो जाए॥
परिचय- डॉ. गायत्री शर्मा का साहित्यिक नाम ‘प्रीत’ है। २० मार्च १९६५ को इन्दौर में जन्मीं तथा वर्तमान में स्थाई रुप से इन्दौर (मध्यप्रदेश )में रहती हैं। आपको हिंदी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. (अर्थशास्त्र) तक शिक्षित डॉ. शर्मा का कार्य क्षेत्र-गृहिणी का है,तो सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़ कर समाज के लिए कार्य करती हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं में पदों पर रहते हुए आप भारतीय कला,संस्कृति व समाज के लिए काम कर रही हैं। कई समाचार पत्र-पत्रिका में इनकी अनवरत रचनाओं का अनवरत प्रकाशन हो रहा है। सम्मान-पुरस्कार में विद्या वाचस्पति सम्मान, सुलोचिनी लेखिका पुरस्कार सहित कोरबा के जिलाधीश से सम्मान प्राप्त हुआ है तो कई संस्थाओं से भी अनेक बार अखिल भारतीय सम्मान मिले हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय स्तर की कई साहित्यिक व सामाजिक संस्थाओं से सम्मान,आकाशवाणी से कविता का प्रसारण औऱ अभा मंचों पर काव्य पाठ का अवसर प्राप्त होना है। डॉ. गायत्री की लेखनी का उद्देश्य-समाज और देश को नई दिशा देना,देश के प्रति भक्ति को प्रदर्शित करना,समाज में फैली बुराइयों को दूर करना, एक स्वस्थ और सुखी समाज व देश का निर्माण करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा को मानने वाली डॉ. शर्मा कै लिए प्रेरणापुंज-तुलसीदास जी,सूरदास जी हैं । आपकी विशेषज्ञता-गीत,ग़ज़ल,कविता है।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“देश प्रेम व हिंदी भाषा के प्रति हमारे दिल में सम्मान व आदर की भावना होना चाहिए। मेरा देश महान है। हमारी कविताओं में भी देश प्रेम की भावना की झलक होनी चाहिए। हिंदी के प्रति मन में अगाध श्रद्धा हो,अंग्रेजी को त्याग कर हिंदी को अपनाना चाहिए।”