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अटल तो अटल ही होते

हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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‘अजातशत्रु’ अटल जी…

धीर-वीर व्यक्तित्व और गम्भीर वाणी, दिल से कवि होते हैं
राजनीति के वे प्रबल हस्ताक्षर, अटल तो अटल ही होते हैं।

मधुर मुस्कान भारत की शान, सनातन परिधान में रहते हैं
सत्ता-विपक्ष में जहाँ भी बैठे,
राष्ट्र हित की बात ही कहते हैं।

लोभ नहीं है कुर्सी का जिनको,
तेरहवें दिन में था त्याग दिया
दबाव की राजनीति न हो पाए, ममता से न समझौता किया।

अमेरिकन दबाव के बाद भी,
परमाणु परीक्षण सफल किया
पाकिस्तान के कब्जे से जिसने, कारगिल था वापिस लिया।

आत्मनिर्भर बने भारत अपना,
इस दिशा दृढ़ प्रयत्न किया
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से,
ग्रामीणों का जतन किया।

प्रधानमंत्री ही नहीं थे भारत के, उनमें भारत मूर्तिमान हुआ।
अपने सुशासन की अवधि में,
था उन्होंने कीर्तिमान छुआ॥