सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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भूल गए अपनी सब बोली,
अंग्रेज़ी की पुस्तक खोली
बीज बो रहे हैं हम जैसा,
वृक्ष बनेगा बिल्कुल वैसा।
हिंदी का क्या काम यहाँ है,
नहीं किसी को ज्ञान यहाँ है
दुनिया भर की सीखें भाषा,
पर हिंदी में हुई निराशा।
खान-पान पहनावा देखो,
रंग विदेशी, दारू देखो
संस्कार सिखलाना होगा,
हम सबको बतलाना होगा।
देश हमारा अपनी भाषा,
व्यंजन की अपनी परिभाषा।
अगर नहीं हम सिखला पाए,
समझेंगे कुछ कर ना पाए॥