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अपने हैं तो…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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मुश्किलों के दौर में हमेशा,
अपनों के साथ रहिए
मिट जाएंगे सारे ग़म,
बिल्कुल न उदास रहिए।

अपने हैं तो हर ग़म का,
निश्चित समाधान होगा
कोई नासमझ ही होगा जो,
अपनों से अनजान होगा।

खून का रिश्ता कभी भी,
दगा नहीं दे सकता है
वो सिर्फ अपनों के लिए,
भावनाओं में बह सकता है।

फितूर मत पालो मन में,
जो ठहरा हुआ होता है
अक्सर जज़्बातों में,
वो बहुत गहरा होता है।

हमेशा स्वस्थ और सुखी रहिए,
सुखी काया सृजन करती है।
रोग ग्रस्त दुःखी काया,
खुशियों का विसर्जन करती है॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।