हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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नारी से नारायणी (महिला दिवस विशेष)…
अब वह नहीं रुकेगी,
उडना ही होगा उनको
आवाज दबाने वालों अब खामोश रहो,
ये नारी शक्ति है, अब आगाज़ करेगी…।
अपने लक्ष्य के लिए आगे बढ़ेगी,
नहीं किसी से डरेगी अब
बुलंद इरादों के साथ अपना वर्चस्व क़ायम करेगी,
ये नारी शक्ति है, अब आगाज़ करेगी…।
कब तक यूँ ही घुट-घुट कर जिएगी,
पुरूष प्रधान समाज का यह ज़ुल्म कब तक सहेगी ?
ये किसी से कम नहीं है,
ये नारी शक्ति है, अब आगाज़ करेगी…।
अब हर एक क्षेत्र में नारी शक्ति लोहा मनवा रही है,
पुरूष के साथ महिलाएं भी आगे क़दम बढ़ा रही हैं
नारी खुले आसमान के समान साहस की प्रतिमूर्ति है,
ये नारी शक्ति है, अब आगाज़ करेंगी…।
नर से नारायणी का यह हाथ
हमेशा बना रहे,
यह जीवन में रिश्तों की बहुत बड़ी बात होती है।
साथ एक-दूसरे का बना रहे,
तभी तो ये नारी शक्ति है, अब आगाज़ करेगी…॥