कुल पृष्ठ दर्शन : 340

अब तो गणतंत्र संभालो

कमलेश वर्मा ‘कोमल’
अलवर (राजस्थान)
*************************************

गणतंत्र दिवस:लोकतंत्र की नयी सुबह (२६ जनवरी २०२५ विशेष)…

मिला गणतंत्र बहुत मुश्किलों से,
अब तो इसे संभालो
बहुत अत्याचार सहे हैं,
स्वतंत्रता, समानता पाने को।

उपनिवेशों की दासता में जिए,
अपने ही घर में बेगाने हुए
अधिकार नहीं था निर्णय लेने का,
हुक्मरानों के आदेशों तले दबे हुए।

हर तरफ थीअसमानता, विषमता,
जातिगत अन्याय को भी सहते रहे
नहीं था अधिकार पढ़ने का भी,
स्कूल, मंदिरों से भी दूर रखा।

वर्षों अत्याचार, अन्याय सहने के उपरांत,
बड़ी ही मुश्किलों से हमें गणतंत्र मिला
लागू हुआ संविधान हमारा,
मिली स्वतंत्रता, मिली समानता।

सबको मिला जीवन का अधिकार,
मिले न्याय, मिले अधिकार
लेकिन अभी भी है वैचारिक मतभेद,
है विचारों में असमानता।

शायद नहीं समझ पाए संविधान को,
समझ नहीं पाए अपने स्वाभिमान को।
मिला गणतंत्र मुश्किलों से,
अब तो इसे संभालो॥

परिचय –कमलेश वर्मा लेखन जगत में उपनाम ‘कोमल’ से पहचान रखती हैं। ७ जुलाई १९८१ को दुनिया में आई रामगढ़ (अलवर) वासी कोमल का वर्तमान और स्थाई बसेरा जिला अलवर (राजस्थान) में ही है। आपको हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. व बी.एड. तक शिक्षित कमलेश वर्मा ‘कोमल’ का कार्यक्षेत्र व्याख्याता (निजी संस्था) का है। इनकी लेखन विधा-गीत व कविता है। इनकी रचनाएं पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं तो ब्लॉग पर भी लेखन जारी है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-“कविता के माध्यम से विचार प्रकट करना एवं लोगों को जागरूक करना है।” पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, एवं जय शंकर प्रसाद हैं तो विशेषज्ञता- पद्य में है। बात की जाए जीवन लक्ष्य की तो भारतीय समाज में सम्मान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार -“राष्ट्र एक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास राष्ट्र पर निर्भर करता है। हिंदी हमारी राष्ट्र और मातृत्व भाषा है, जो सरल तरीके से समझी और बोली भी जा सकती है। इसलिए इसे बढ़ाया ही जाना चाहिए।”