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अरण्य बचाओ

आशा आजाद`कृति`
कोरबा (छत्तीसगढ़)

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है अरण्य हसदेव हमारा।
राज्य धरा पर लगता न्यारा॥
कभी न उजड़े वैभव काया।
जीवन सेहत इससे पाया॥

लोभ मोह को सारें भूलें।
माथ लगाकर इसको छू लें॥
शुद्ध हवा का यही अधारा।
जन-जन को लगता है प्यारा॥

खान कोयले की मत खोलो।
देख प्रकृति कुछ तो बोलो॥
जो जीवन है सबको देता।
शासन उजाड़ इसको लेता॥

पेड़ कटेगा अतिशय सुन लो।
दर्द पेड़ का थोड़ा गुन लो॥
मानवता का भाव दिखायें।
धरा बचाकर पुण्य कमायें॥

दुखद योजना पीड़ा देगी।
सुख निज सबका ये ले लेगी॥
धरती सुंदर चिल्लाती है।
रूप गुणों को बतलाती है॥

हरी-भरी वादी है सुंदर।
जड़ी-बूटी है इसके अंदर॥
वन्य जीव भी रोते सारे।
है अरण्य हसदेव सहारे॥

पेड़ धरा पर गिरे पड़े हो।
गर हम चहुँओर खड़े हो॥
देख गिरेंगे आँसू कितने।
जीव बसे जंगल में जितने॥

राज्य धरा के मुखिया जानें।
जीव जगत पीड़ा पहचानें॥
एक पेड़ की उम्र है भारी।
इसे बचाना जिम्मेदारी॥

स्वर्ग रूप सम राज्य हमारा।
सुख समृद्धि अरु देत सहारा॥
शासन जागें रोक लगाये।
करें सुरक्षा मान बढ़ाये॥

है गुहार शासन से इतनी।
जीवन इससे चलती कितनी॥
भर दें सुंदर शुभ खुशहाली।
छीनें कभी न यह हरियाली॥

परिचय–आशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा,छत्तीसगढ़)में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत श्रीमती आजाद को हिंदी,अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक.(व्यवहारिक भूविज्ञान)तक शिक्षित श्रीमती आजाद का कार्यक्षेत्र-शा.इ. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। इनकी लेखन विधा-छंदबद्ध कविताएँ (हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा)सहित गीत,आलेख,मुक्तक है। आपकी पुस्तक प्रकाशाधीन है,जबकि बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख,शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं। ब्लॉग पर लेखन में सक्रिय आशा आजाद की विशेष उपलब्धि-दूरदर्शन, आकाशवाणी,शोध-पत्र हेतु सम्मान पाना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित में संदेशप्रद कविताओं का सृजन है,जिससे प्रेरित होकर हृदय भाव परिवर्तन हो और मानुष नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामसिंह दिनकर,कोदूराम दलित जी, तुलसीदास,कबीर दास को मानने वाली आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (जनकवि कोदूराम दलित जी के सुपुत्र)हैं। श्रीमती आजाद की विशेषज्ञता-छंद और सरल-सहज स्वभाव है। आपका जीवन लक्ष्य-साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन सार्थक होगा। देवी-देवताओं और वीरों के लिए बड़े-बड़े विद्वानों ने बहुत कुछ लिख छोड़ा है,जो अनगिनत है। यदि हम वर्तमान (कलयुग)की पीड़ा,जनहित का उद्धार,संदेश का सृजन करें तो निश्चित ही देश एक नवीन युग की ओर जाएगा। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है,यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह,अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”

 

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