सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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रिमझिम-रिमझिम, टपक-टपक कर,
गिर-गिर जलकण, अवनि तर भए।
शिखर-शिखर ढक, दुबक-दुबक कर,
उज्वल-उज्वल, मलिन कुछ दिखे।
नियमित-नियमित, ढरक-ढरक कण,
जलद-जलद भिड़, तड़ित भय लसे।
अतिथि उदित रवि, दुर्लभ-दुर्लभ दर्श,
तनिक-तनिक लुप्त, कश्मकश भए।
गड़बड़-गड़बड़ नभ, उदर विकृत नभ,
पल-पल हसरत, प्रतिगमन करे।
रश्मि-रश्मि दिनकर, लुक-छिप लुक-छिप,
महफ़िल सजकर, स्वर्णिम छवि सजे।
जलमय-जलमय, अधिकतम डगर,
स्खलित-स्खलित पथ, अति दुष्कर हुए।
जलधर-जलधर, बरस-बरस कर,
शगुन-शगुन सम, जलनिधि पसरे।
हरित-हरित दृश्य, फलित-फलित दृश्य,
शस्य कृष्ण वर्ण सज, पुलकित ज्यों लसे।
दलदल-दलदल, लथपथ-लथपथ
तृण-तृण भर-भर, चल-अचल रचे।
समस्त-समस्त घट, परवरिश समस्त
समर्पित सर्व शक्ति, सर्वत्र रमयते।
शिवम् ॐ शिव ऋतु, शिवत्व-शिवत्व सर्व,
हर्षित उल्लासित मन, गुण चिन्तन करूँ॥
परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।