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आओ प्यार करें

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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धर्म तेरा नहीं है कि
तू किसी पे वार करे,
नहीं मज़हब तेरा कि
ज़ुल्म, अत्याचार करे।

ना राम ने कभी कहा
ना कभी कहा रहीम ने,
फिर क्यों तू ए इंसान
इंसानियत को तार-तार करे।

बड़ी मुश्किल के बाद
मिली है हमें ये आज़ादी,
संभाल लें हम इसे जरा
दंगे-फसादों में ना बेकार करें।

भूल कर शहीदों की कुर्बानी
भूलकर अमर बलिदानी,
अपने दिलों में क्यों हम
नफ़रत की खड़ी दीवार करें।

दूर करें सभी शिक़वे-गिले
जीवन बड़ा अनमोल है
वतन के चमन में खिले,
फूलों को क्यों ख़ार करे।

रंग लगाएं होली पर
ईद पर मिल जाएं गले,
क्यों बेवजह आपस में हम
बेकार की तक़रार करें।

छोड़ कर आपसी रंजिश,
प्रेम से रह लें धरा पर।
आओ मिल कर हम सब,
बस आपस में प्यार करें॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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